गोंदिया: दो टाइगरों की आपस की लड़ाई में, टी-9 टाइगर की मौत..

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गोंदिया. नागझिरा-नवेगांव व्याघ्र प्रकल्प में पिछले 11 वर्षों से रह रहे युवा बाघ टी-9 की अस्तित्व की लड़ाई में मौत हो गई. यह घटना 22 सितंबर की सुबह 10 बजे के करीब नागझिरा अभयारण्य परिसर के पास मंगेझरी मार्ग पर स्थित नागदेव पहाड़ी के पास वन विभाग के कर्मी गश्त कर रहे थे उस दौरान सामने आई.

पिछले कुछ वर्षों में नागझिरा-नवेगांव व्याघ्र प्रकल्प में बाघों की संख्या में वृद्धि हुई है. इसलिए पर्यटकों का आकर्षण अब व्याघ्र प्रकल्प की ओर बढ़ गया है. इस बीच राज्य सरकार के वन विभाग ने ताडोबा व्याघ्र प्रकल्प से तीन बाघिनों को नागझिरा अभयारण्य में छोड़ दिया. इसलिए इस बाघ प्रकल्प को अधिक महत्व मिल रहा है. जंगल में एक बाघ अपने क्षेत्र में दूसरे बाघ की उपस्थिति को स्वीकार नहीं करता है. इसलिए वे अस्तित्व के लिए लड़ते हैं. लड़ाई में कमजोर बाघ की जान चली जाती है. इसी प्रकार की घटना नागझिरा व्याघ्र प्रकल्प संकुल परिसर से सटे नागदेव पहाड़ी के पास कम्पार्टमेंट कक्ष क्र. 96 के पास 22 सितंबर को सामने आई. पिछले 10 से 11 वर्षों से नागझिरा-नवेगांव व्याघ्र प्रकल्प की शान कहे जाने वाले टी-9 बाघ की मृत्यु की घटना आज बीट रक्षक जे.एस. केंद्रे के द्वारा गश्त की दौरान सामने आई.

उन्होंने इसकी जानकारी वरिष्ठों को दी. तत्काल उपवन संरक्षक जयरामे गौड़ा आर, व्याघ्र प्रकल्प के उपसंचालक राहुल गवई, सहायक वन संरक्षक एम.एस. चव्हाण, वन परिक्षेत्र अधिकारी वी.एम. भोसले मौके पर पहुंचे. उन्होंने अनुमान लगाया है कि दो बाघों के बीच अस्तित्व की लड़ाई में बाघ की मौत हुई होगी. बाघ की मौत से वन्यजीव प्रेमियों और वन अधिकारियों में निराशा है.

तत्काल राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की मानक प्रक्रिया के तहत गठित एक समिति ने घटनास्थल और मृत बाघ का निरीक्षण किया. इस समिति में मानद वन्य जीव रक्षक व प्रतिनिधि सावन बहेकार, भुपेश निर्बाते, छत्रपाल चौधरी, डा. शीतल वानखेड़े, डा. सौरभ कवठे, डा. समीर शेंद्रे, डा. उज्वल बावनथड़े शामिल थे.

समिति के समक्ष मृत बाघ का शव विच्छेदन किया गया और विसरा का नमूना एकत्र किया गया. इसके बाद बाघ का अंतिम संस्कार कर दिया गया. इस मामले की जांच उप संचालक राहुल गवई के मार्गदर्शन में वन परिक्षेत्र अधिकारी वी.एम. भोसले कर रहे हैं.

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